अब कितने तूफान रहे हमारे चाह में, वादा है, कभी यूँ जुदा न होंगे जरूर। अब कितने तूफान रहे हमारे चाह में, वादा है, कभी यूँ जुदा न होंगे जरूर।
पर भ्रम में ही सही, मेरी ज़मीन ने, आसमान छूने की तमन्ना पूरी की। पर भ्रम में ही सही, मेरी ज़मीन ने, आसमान छूने की तमन्ना पूरी की।
समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इंगित करती है। समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इ...
जीने की कोई चाहत नहीं होती है, तेरे बिन ज़िन्दगी में कोई आहट नहीं होती है। यूँ न तो जीने की कोई चाहत नहीं होती है, तेरे बिन ज़िन्दगी में कोई आहट नहीं होती है। ...
मेरे खवाबों के इस खवाब को हक़ीक़त बना दे ऐ मौला। दो दिलों की इस अधूरी दास्तां को मेर मेरे खवाबों के इस खवाब को हक़ीक़त बना दे ऐ मौला। दो दिलों की इस अधूरी दास्त...
है कैसा सितम दूर जाने हो तुम क्यों!भर लू बाहों में तुमको जी चाहता है!! है कैसा सितम दूर जाने हो तुम क्यों!भर लू बाहों में तुमको जी चाहता है!!